बेचारे नरेंद्र मोदी जी ने बड़ी उम्मीदों के साथ स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी, शायद जापान और अमेरिका की सड़कें देखने के बाद मोदी जी को लगा कि हमारे देश की पान से सनी सड़कें, पेशाब से गीली दीवारें और मानव मल से घिरी हुई रेल पटड़ियाँ भी इन विदेशी शहरों की तरह चमचमा सकती हैं... और इन्हीं सपनों को देखते हुए मोदी जी ने स्वच्छ भारत अभियान की घोषणा कर दी …यह सोचते हुए कि अगर 120 करोड़ भारतीय ठान लें तो भारत क्या पूरी दुनिया भी जापान, शंघाई और न्यु-योर्क की तरह चमक सकती है … अभियान भी कुछ ऐसा था कि मोदी का कोई बड़े से बड़ा राजतीनिक, धार्मिक या वैचारिक विरोधी चाहकर भी इस अभियान का विरोध नहीं जुटा पाता… शायद ये अभियान 120 करोड़ लोगों को अपने पक्ष में करने का मोदी का मास्टर स्ट्रोक था…और हुआ भी तकरीबन कुछ वैसा ही, मोदी के कट्टरतम विरोधी नौटन्की सरदार केजरीवाल को भी इसका समर्थन करना पड़ गया और इसके साथ ही बेचारे उन आपियों को भी मोदी का समर्थन करना पड़ गया जो मोदी की तारीफ़ करने की बजाय टट्टी ख़ाना ज्यादा पसंद करते हैं…लोगों में उदाहरण पेश करने के मकसद से मोदी ने गांधी जयन्ती के दिन खुद सफ़ाई करके इस अभियान की शुरुआत की
लेकिन एक सबसे बड़ी गलती जिसके कारण एक अच्छे - खासे अभियान का सत्यानाश हो गया, वो भी मोदी ने उसी दिन कर डाली…वो गलती थी अपना फोटो ख़ींचके फ़सबुक पे डालना और आईस बकेट की तर्ज पर 9 लोगों को चैलेंज करना ………………उसके बाद तो हमारी दिखावापसंद जनता को फोटो ख़िंचाने और लाईक पाने का नया बहाना मिल गया
…बाजार में झाड़ू और बाँस के बम्बूओं की माँग 1000 गुना बढ गयी और जब लोगों का जोश थोड़ा ठन्डा हुआ तो फ़ोटो खिंंचाने के मोर्चे को नेताओं ने संभाल लिया…… इन हेमा मालिनी जी को झाडू लगाते हुए सुरक्षा चाहिए ,शायद इनके साफ़- सुथरे चिकने गालों को गन्दे लोगों से खतरा है बेचारे प्रकाश जावड़ेकर जी ने अपने आस-पास कूड़ा ढूँढने की बहुत कोशिश की, साथ में 60 - 70 आदमियों और मीडिया वालों कू भी बुलाया गया लेकिन अफ़सोस की कूड़ा फ़िर भी नहीं मिला यहाँ तक तो फ़िर भी ज्यादा रायता नहीं बिखरा था लेकिन जब लोगों ने पहले खुद कूड़ा बिखरा कर सफ़ाई करनी चालू की तो सबको लगने लगा कि पानी सर से उपर जाने लगा है इंडिया इस्लामिक सेंटर ने कितनी सफ़ाई से कूड़ा बिखराया और फ़िर बीजेपी के नेताओं ने उसे साफ़ करके सेक्यूलर बनने की कोशिश की
तकरीबन मुर्दा हो चुके इस अभियान में मोदी जी ने फ़िर से नई जान फूँकने की कोशिश की ………बनारस जाकर घाट की सफ़ाई की………खुद 9 तन्सले गाद भी उठाई… …………… लेकिन अब शरद पवार ने इस अभियान के ताबूत में अंतिम कील ठोंक दी है
इम्पोर्टीड झाड़ु से शरद पवार जी शायद कुछ अदृश्य जीवाणु या कीटाणुओं को साफ़ करने की कोशिश कर रहे हैं
एक बार फ़िर एक और अच्छे से सोची गयी …नेक नीयत की योजना इन नौटंकीबाज नेताओं, फ़ेसबुकियों और सिस्ट्म की भेंट चढ गयी
लेकिन एक सबसे बड़ी गलती जिसके कारण एक अच्छे - खासे अभियान का सत्यानाश हो गया, वो भी मोदी ने उसी दिन कर डाली…वो गलती थी अपना फोटो ख़ींचके फ़सबुक पे डालना और आईस बकेट की तर्ज पर 9 लोगों को चैलेंज करना ………………उसके बाद तो हमारी दिखावापसंद जनता को फोटो ख़िंचाने और लाईक पाने का नया बहाना मिल गया
…बाजार में झाड़ू और बाँस के बम्बूओं की माँग 1000 गुना बढ गयी और जब लोगों का जोश थोड़ा ठन्डा हुआ तो फ़ोटो खिंंचाने के मोर्चे को नेताओं ने संभाल लिया…… इन हेमा मालिनी जी को झाडू लगाते हुए सुरक्षा चाहिए ,शायद इनके साफ़- सुथरे चिकने गालों को गन्दे लोगों से खतरा है बेचारे प्रकाश जावड़ेकर जी ने अपने आस-पास कूड़ा ढूँढने की बहुत कोशिश की, साथ में 60 - 70 आदमियों और मीडिया वालों कू भी बुलाया गया लेकिन अफ़सोस की कूड़ा फ़िर भी नहीं मिला यहाँ तक तो फ़िर भी ज्यादा रायता नहीं बिखरा था लेकिन जब लोगों ने पहले खुद कूड़ा बिखरा कर सफ़ाई करनी चालू की तो सबको लगने लगा कि पानी सर से उपर जाने लगा है इंडिया इस्लामिक सेंटर ने कितनी सफ़ाई से कूड़ा बिखराया और फ़िर बीजेपी के नेताओं ने उसे साफ़ करके सेक्यूलर बनने की कोशिश की
तकरीबन मुर्दा हो चुके इस अभियान में मोदी जी ने फ़िर से नई जान फूँकने की कोशिश की ………बनारस जाकर घाट की सफ़ाई की………खुद 9 तन्सले गाद भी उठाई… …………… लेकिन अब शरद पवार ने इस अभियान के ताबूत में अंतिम कील ठोंक दी है
इम्पोर्टीड झाड़ु से शरद पवार जी शायद कुछ अदृश्य जीवाणु या कीटाणुओं को साफ़ करने की कोशिश कर रहे हैं